Thursday, September 12, 2019

11 दिन की यात्रा और सातवें दिन पैसे खत्म, बीच रास्ते में पेट्रोल खत्म, ऐसे निकला रास्ता

आज काफी लंबी दूरी तय करनी थी इसलिए सुबह 6 बजे उठ गया। सुबह 7 बजे तक मैं गुजरात के जामनगर से निकलने के लिए तैयार था। रात जामनगर के सर्किट हाउस में गुजरी थी जिसमें हमारे मित्र नाथू रामदा जी ने मदद की थी। 


आज यात्रा का सातवां दिन था। यात्रा के लिए जो 8 हजार का बजट रखा था, वह खत्म हो चुका था। सिर्फ 200 रुपये बचे थे और अभी 5 दिन की यात्रा बाकी थी। मुंबई के एक दोस्त को 3 हजार रुपये उधार दे रखे थे, अब उसी पर उम्मीद टिकी थी। उसी उम्मीद के सहारे आगे चला कि दोपहर तक अकाउंट में पैसे आ जाएंगे। 

अभी जामनगर से निकले हुए डेढ़ घंटे ही हुए थे और 40 किलोमीटर की दूरी ही तय की थी कि वही हुआ, जिसका डर था। लिंबुडा वाटिया से  थोड़ा आगे बीच रास्ते पर पेट्रोल खत्म हो गया और पैसे भी। हम हाइवे पर खड़े सोच रहे थे कि अब क्या करें। दोस्त को फोन लगाया तो उसने टका सा जवाब दिया कि पैसे नहीं हो पा रहे। 

कहते हैं कि जब एक रास्ता बंद होता है तो कई नए दरवाजे खुलते हैं, ऐसा ही कुछ उस दिन हुआ। अचानक से बाइक पर सवार एक लड़का आया और मेरे पास आकर रुक गया। उसने मुझसे पूछा कि क्या समस्या है। मैंने उसे बताया कि पेट्रोल खत्म हो गया है, कहां मिलेगा? उसने जवाब दिया कि 20 किलोमीटर आगे पंप है। मैंने उससे कहा कि भाई कुछ पेट्रोल दे दो तो उसने कहा कि मेरी गाड़ी में भी ज्यादा नहीं है। तब मैंने उससे कहा कि मुझे पेट्रोल पंप तक ले चलो, तुम्हारी गाड़ी में भी आने-जाने का डलवा देंगे। वह तैयार हो गया। 


उसके साथ बैठकर मैं 20 किलोमीटर दूर पेट्रोल पंप पर गया। 50 रुपये का पेट्रोल उसकी गाड़ी में डलवाया और 70 रुपये का मैंने लिया। इसी दौरान मैंने भोपाल में अपने एक परिचित सुरेश गर्ग जी को पैसे के लिए कहा तो उन्होंने 3 हजार रुपये अकाउंट में डलवाने का वादा किया। पंप से वापस आकर अनजान और मददगार लड़के ने मुझे छोड़ा और फिर खेतों के बीच उतरकर न जाने कहां चला गया। वहीं, मेरे परिचित ने भी अपना वादा निभाया और जब मेरे पास रास्ते में एक रुपया भी नहीं बचा था, तब मेरे लिए अगले 5 दिन के सफर खर्च की व्यवस्था की। 


इस तरह गुजरात यात्रा में सफर के सातवें दिन एक बड़ी समस्या से आसानी से छुटकारा मिला। इसके बाद रात 10 बजे तक आमरन, मालिला, सामख्याली, भचाऊ, गांधीधाम, कांडला, मुंद्रा, मांडवी होते हुए भुज तक की 436 किलोमीटर बाइकिंग की, वह भी तब जब दो दिन पहले ही एक्सीडेंट हुआ था। 

यह घटना 7 मई 2013 को 3433 किलोमीटर की 100 सीसी बाइक से गुजरात यात्रा के दौरान घटी जिसने मुझे इंसानियत पर भरोसा करना सिखाया। 

रोमांचक यात्रा का रोचक वृतांत जारी रहेगा...

Shyam Sundar Goyal
Delhi

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