Sunday, April 26, 2020

हाइवे के इस होटल में एक ही शख्स निभाता है बावर्ची, वेटर, मैनेजर और मालिक का रोल

भोपाल से अपनी 100 सीसी मोटरसाइकिल से बिहार-बंगाल की यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ और ओडिशा होते हुए राह पकड़ी। 16 अगस्त को हम ओडिशा के हुम्मा इलाके में थे और यहां से जगन्नाथ पुरी जाना था। 
हुम्मा शहर, ओडिशा
वैसे तो जगन्नाथ पुरी के लिए हाइवे से सीधा रास्ता था लेकिन हम चूंकि मोटरसाइकिल से थे इसलिए चिल्का लेक के अंदरूनी भागों में होते हुए पुरी पहुंचने का रास्ता पकड़ा। हुम्मा से पुरी के बीच करीब 120 किलोमीटर का फासला था लेकिन यह रास्ता रोमांच की चरम अनुभूति करा रहा था।

चिल्का लेक का ग्रामीण जनजीवन
हुम्मा से करीब साढ़े 9 बजे चले और फिर चिल्का लेक और वहां आसपास के ग्रामीण और आत्मनिर्भर जीवनशैली को देखते हुए आगे बढ़े। दोपहर 12.45 पर सादपाड़ा जगह पर पहुंचे जहां से एक फेरी में बाइक रख दी गई और फिर अगले 45 मिनट चिल्का लेक में होते हुए दूसरे किनारे पर पहुंचे। दूसरे किनारे पर उतरकर आगे चलते रहे। 
सादपाड़ा, यहां बोट से 45 मिनट का सफर कर दूसरे पार जाना होता है।
दोपहर में धूप भी तीखी हो रही थी और भूख भी लग रही थी। ऐसे में पुरी से पहले रास्ते में एक खाने के होटल दिखा। अब आगे का रास्ता तय करने से पहले वहीं रुककर पेट पूजा करने की सोची। 

उस होटल में खाने की दो ही रेट थी। चिकन के साथ मील या मछली के साथ मील। चिकन के साथ 50 रुपये और मछली के साथ 60 रुपये। मील का मतलब होता है पेट भर खाना। यानी आपने चिकन की प्लेट ली तो सब्जी, चिकन और चावल इतना मिलता है कि आपका पेट भर सके। 

जगन्नाथ पुरी से पहले खाने का होटल, ओडिशा
हमने भी वहां चिकन मील का ऑर्डर किया। सारा होटल हाउसफुल था। एक व्यक्ति सब को नंगे पैर, बदन पर सिर्फ एक तौलिया लपेटे हुए खाना सर्व कर रहा था। हमें भी केले के पत्ते पर खाना सर्व हुआ और भर पेट खाना खाया। खाना खाने के बाद जब अंदर हाथ धोने गया तो देखा कि वह और उसकी पत्नी ही खाना लगातार बना रहे हैं। हमारा दिमाग घूमने लगा कि यह वेटर है या बावर्ची। 

होटल में वेटर, बावर्ची, मैनेजर और मालिक 
खैर, हम खाने खाने के बाद जब पैसे देने के लिए काउंटर पर बैठे शख्स को तलाशने लगे तो वही शख्स आकर काउंटर पर बैठ गया और पैसे लिए। उसे कुछ सामान लाना था तो अपनी साइकिल उठाई और कुछ ही समय में सामान भी लेकर आ गया। उस शख्स की भाषा समझ में तो नहीं आ रही थी तो बगल वाली दुकान से पूछा कि यहां ऐसे ही दुकान चलती है जिसमें एक ही आदमी काम सभी काम करता है, इसका होटल पर मालिक नहीं बैठता क्या? तब उसने जवाब दिया कि यही तो होटल का मालिक है...

कम संसाधनों में भी सुखी जीवन जीने की ललक
(16 अगस्त 2018, समय दोपहर 2 से 3.30 के बीच। मध्य प्रदेश के भोपाल से छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और वापस भोपाल की बाइक यात्रा के दौरान का वाकया। इस ट्रिप में 14 दिन में 4500 किलोमीटर की दूरी तय की गई।)

(भारत में 25 हजार किलोमीटर 100 सीसी बाइक से सफर पर एक किताब भी लिखी गई है जिसका नाम '100 सीसी' है। इसमें उत्तर भारत के 40 से ज्यादा घूमने की जगह के बारे में उसके इतिहास के साथ रोचक तरीके से बताया गया है। यह किताब प्रभात पब्लिकेशन से 12 फरवरी 2020 को प्रकाशित हुई है। यह किताब ऑनलाइन भी है और किंडल एडिशन पर भी है। )


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 Shyam Sundar Goyal
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