जब अचानक से ग्वालियर में एक दोस्त से मुलाकात हुई और उस दोस्त के माध्यम से एक प्रोडक्शन हाउस में गया तो वहां कुछ अनोखा ही हो गया. वहां जब मेरी भारत यात्रा की बात चली तो उन्होंने इस पर एक शॉर्ट फिल्म बनाने की बात कही. मैं भी उस समय ग्वालियर में माता-पिता के पास रुका था तो वहां शूटिंग भी हो गई और फिर 16 मिनट की एक शानदार शॉर्ट फिल्म बनी जो उस जुनून को दर्शाती है कि कुछ भी नहीं हो, तब भी बहुत कुछ आपके पास होता है.....