Wednesday, February 1, 2017

Life on Travel : गुजरात में बाइक से अकेले किया सफर, 11 दिन में 3433...

Life on Travel : गुजरात में बाइक से अकेले किया सफर, 11 दिन में 3433...: भोपाल से गुजरात 3433 KM सोलो बाइकिंग 1 मई से 11 मई 2013 भोपाल . मई 2013 में अकेले बाइक से गुजरात की यात्रा की। तब 11 दिनों में 343...

गुजरात में बाइक से अकेले किया सफर, 11 दिन में 3433 किलोमीटर की दूरी ऐसे नापी

भोपाल से गुजरात 3433 KM सोलो बाइकिंग
1 मई से 11 मई 2013


भोपाल . मई 2013 में अकेले बाइक से गुजरात की यात्रा की। तब 11 दिनों में 3433 किमी की दूरी तय की थी। इस सफर में हर वह अनुभव हुए जिसके बाद ऐसे सफर से तौबा कर लेना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस यात्रा के कटु अनुभवों ने मुझे और मजबूत किया। अब ये सफर बनारस, मुंबई, केदारनाथ, चंडीगढ़ के बाद निरंतर जारी है। गुजरात की 3433 किमी की यात्रा के बाद, बनारस की 2000 किमी, महाराष्ट्र की 2700 किमी और भारत के 7 उत्तरी राज्यों की 3850 किमी की यात्रा पूरी कर चुका हूं और 2017 में दक्षिण भारत की 5000 किमी की यात्रा की तैयारी है। 

गुजरात सोलो बाइकिंग में भोपाल, इंदौर, झाबुआ, दाहोद, अहमदाबाद,लोथल, भावनगर, पालिताना, दीव, गिर नेशनल पार्क, सोमनाथ, पोरबंदर, द्वारका, ओखा, जामनगर, भचाऊ, कांडला, गांधीधाम, मांडवी, भुज, कच्छ का रण, धौलावीरा, राधनपुर, मोढेरा, महेषाणा, गांधीनगर, अहमदाबाद, झाबुआ हाेते हुए वापस 11 दिन में लौटा। 

गुजरात यात्रा का रूट मैप

साढ़े तीन साल पहले की गई इस यात्रा को मैं याद्दाश्त के सहारे लिखने की कोशिश कर रहा हूं। देखते हैं, कितना सफल होता हूं। 

खुद से किया वादा, जब तक जिंदा रहूंगा, दुनिया के साथ अपडेट रहूंगा
कई लोग मुझसे सवाल करते हैं कि भरी गर्मी में बाइक से अकेले जाने की सनक कैसे सवार हुई, जबकि ऐसे उदाहरण उस समय भारत में कम ही देखने को मिलते थे। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है। उस समय में दैनिक भास्कर के इन्वेस्टिगेटिव न्यूज पेपर, डीबी स्टार में काम करता था। वहां काम करते-करते 3 साल हो गए लेकिन एक ही काम करते-करते रोचकता कम होती जा रही थी। ऐसे में हमारे यहां से कुछ लोग 7 दिन की ट्रेनिंग के लिए भास्कर के इन-हाउस  माड्यूल में गए। मेरी भी इच्छा थी लेकिन मैं किसी कारणवश वह ट्रेनिंग नहीं ले सका। तब मैंने खुद से ये वादा किया मैं अपनी ट्रेनिंग खुद करुंगा और हमेशा इस दुनिया के साथ अपडेट रहूंगा। 

ओखा, गुजरात।
जुनून सवार हो गया था
यही सोचकर मैंने बाइक से पूरा भारत घूमने का प्लान बनाया। इसके लिए नई बाइक टीवीएस स्पोर्टस ली। हालांकि ये ऐसे अनजाने और कठिन सफर के लिए सही च्वाइस नहीं थी लेकिन जुनून सब कुछ करा देता है। बस वही जुनून सवार हो गया था। अब ये तय करना था कि जाना कहां है। इसके लिए मैंने गुजरात राज्य को चुना क्योंकि मैं ये जानना चाहता था कि आखिर गुजरात में ऐसा क्या है कि वहां हमेशा समृद्धि का वातावरण रहता है। गुजरात की यात्रा से लौटने के बाद मुझे इस बात का जवाब मिल गया था। 

कच्छ का रण।
सफर को ऐसे बनाया प्लान
इसके बाद गूगल मैप पर मैंने भोपाल से गुजरात का रूट मैप बनाया और एक-एक सड़क को जूम करके वहां के ज्योग्राफिकल कंडीशन को समझा। कहां पहाड़ मिलेंगे, कहां नदी, कहां समुद्र, कहां कच्छ का रण। कहां सड़क खराब मिलेगी और कहां सही। एक दिन में कितनी बाइक चल पाएगी और कितन दिन में वापसी हो पाएगी। ये सब प्लान करके 1 मई 2013 को सुबह निकलना निश्चित कर लिया। इस सफर के बारे में सिर्फ मुझे ही पता था। न तो किसी से ये बात शेयर की थी और न ही इस बारे में किसी को जानकारी थी।

मांडवी का समुद्रतट और सनसेट।
 न तो रास्ता पता था और न मंजिल का
28 अप्रैल को फैमिली को घर भेजा और 2 दिन के अंदर सफर के लिए तैयार हुआ। 1 मई को पीठ पर 700 रुपए का नया खरीदा हुआ बैग, एक पुराना वीडियो कैमरा, फोटो खींचने के लिए एक नोकिया का 4 हजार रुपए वाला मोबाइल और सिर्फ 4 जोड़ी कपड़े रखकर ऐसे अनजाने सफर पर निकला, जिसका न तो रास्ता पता था और न मंजिल। अकाउंट में मात्र 10 हजार रुपए थे। मैंने इस सफर को 7 दिन में खत्म करने की सोची थी लेकिन लग गए 11 दिन। रास्ते में मेरे पैसे खत्म हो गए तो दोस्त से अकाउंट में पैसे डलवाए। एक्सीडेंट हुआ तो पैरों में दर्द के साथ सफर पूरा किया। 

सोमनाथ और पोरबंदर के बीच हुआ  सफर के पांचवे दिन हुआ भयानक एक्सीडेंट।

आगे के सफर के बारे में अगले ब्लॉग में....