Friday, September 21, 2018

भिखारी पॉलिटिक्स का गजबिया ज्ञान #4 #Amazingindia

अभी हाल में बहुजन समाज पार्टी की लीडर मायावती  ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को धता बनाकर पूर्व कांग्रेसी लीडर अजीत जोगी की जनता कांग्रेस से गठबंधन कर लिया है। आखिर ऐसा क्यों हुआ कि एक राष्ट्रीय पार्टी जब बीएसपी के दरवाजे पर दस्तक दे रही हो तब एक अनाम से क्षेत्रीय पार्टी के साथ गठबंधन कुछ हजम नहीं होता, लेकिन ऐसा हुआ।

हाल ही में 6 राज्यों में 4500 किमी बाइक से छत्तीसगढ़ के दूर-दराज के क्षेत्रों में घूमकर जाना कि छत्तीसगढ़, कैसे दूसरे राज्यों से अलग है, वहां जमीनी स्तर पर लोग कैसे रहते हैं, इन सब सवालों के जवाब एक भिखारी के माध्यम से आर्टिकल में देने की कोशिश की गई है...


13 अगस्त 2018 शाम 6 से रात 7 बजे तक...छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाने वाला कवर्धा जिले में भोरमदेव टेंपल का रास्ता

भोपाल से 12 अगस्त को बाइक से निकला और 13 अगस्त की शाम को भोरमदेव टेंपल पहुंचा। भोरमदेव के मंदिर के चारों तरफ खजुराहो जैसी ही कामुक प्रतिमाएं उत्कीर्ण की गईं हैं। यहां उस समय सावन का मेला चल रहा था। मंदिर को देखने के बाद जब रायपुर के लिए निकला तो अंधा भिखारी लिफ्ट लेने के लिए खड़ा था। मैं तो वैसे भी रास्ते में लिफ्ट देकर ही चलता हूं जिससे की लोकल के लोगों से बातचीत होती रहे। उसके साथ बेटी भी थी जो उसे रास्ता दिखाती थी। वह दोनों बाइक पर बैठ गए और शुरू हुई बातचीत..


इस भिखारी की बातें सुनकर पॉलिटिक्स के धुरंधरों की आखें खुल जाएंगी।
-कहां चलना है?
भिखारी-आगे 15 किमी की दूरी पर मेरा घर है, मुझे वहां तक छोड़ृ दें। मंदिर के प्रसाद के 8 किलो चावल मिले थे, उन्हें मैंने किसी और के हाथों घर भेज दिया है।
-यहां क्या रोज आते हो?
भिखारी-नहीं,बस सावन के महीने में 8 दिन मेला लगता है, उसी समय भीख के लिए आता हूं। यहां चावल चढ़ाया जाता है, उसी से काम चल जाता है?
-बाकी समय?
भिखारी-बाकी समय कुछ नहीं, बस घर पर पड़े रहते हैं।
-फिर घर कैसे चलता है?
भिखारी-रमन सिंह हर महीने चावल, कैरोसीन दे देता है। उससे घर चल जाता है।
-बाकी की जरूरतें कैसे पूरी होती हैं?
भिखारी-जब कुछ जरूरत होती है तो उनके घर चला जाता हूं। उनके बेटे अभिषेक से बात करता हूं तो कुछ मदद मिल जाती है।
-बच्चों की पढ़ाई?
भिखारी-स्कूल से ही कॉपी-किताब, ड्रेस मिलती हैं। स्कॉलरशिप भी मिलती है तो इससे काम चल जाता है। अब तो बस आवास चाहिए, उसका भी वादा किया हुआ है। अभी चुनाव आने वाले हैं, उनके घर जाकर फिर मिलता हूं। उनसे कहूंगा कि आवास दे दो तो इस बार भी तुम ही जीतोगे।
-अगर आवास नहीं दिया तो?
भिखारी-तो फिर कैसे जीतेगा, हमारे आशीर्वाद से ही तो उसे जीत मिलती है, हार नहीं जाएगा।
-वह तुम्हें आवास क्यों देगा?
भिखारी- क्योंकि उसका काम है देना।
-और तुम्हारा?
भिखारी-(इस बार जवाब देने से पहले वह कुछ देर रुका फिर बोला) हमारा काम है लेना....



(6 सालों में 23,500 किमी की दूरी तय कर 20 राज्यों में मोटरसाइकिल से भारत भ्रमण करने के बाद 'Amazingindia' सीरिज के तहत ये ऑरिजनल कंटेंट है। इसका किसी भी तरह से उपयोग करने पर कॉपीराइट एक्ट के तहत कार्रवाई करने का सर्वाधिकार सुरक्षित)  

15 comments:

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