Saturday, September 15, 2018

आखिर क्यों नहीं पहनतीं यहां महिलाएं ब्लॉउज #3 #Amazingindia

भोपाल. 22 सितंबर को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओडिशा में एयरपोर्ट, रेल लाइन और माइनिंग से रिलेटेड इश्यूज के लिए ओडिशा जाने वाले हैं। ये एक ऐसा राज्य है जहां एक तरफ आधुनिकता के दर्शन होते हैं तो वहीं गरीबी के लिए भी ये दुनिया में बदनाम है। आखिर क्या है ओडिशा का सच? 
 

ओडिशा में चिल्का क्षेत्र की महिला बिना ब्लॉउज के सिर्फ साड़ी में ही। 
हाल ही में 6 राज्यों में 4500 किमी बाइक से ओडिशा के दूर-दराज के क्षेत्रों में घूमकर जाना कि ओडिशा, कैसे दूसरे राज्यों से अलग है, वहां जमीनी स्तर पर लोग कैसे रहते हैं, उनके लिए विदेश क्या है? आखिर वहां कई इलाकों की महिलाएं ब्लॉउज क्यों नहीं पहनतीं? इन सब सवालों के जवाब इस आर्टिकल में देने की कोशिश की गई है...

14 अगस्त 2018 रात 7 बजकर 50 मिनट से 17 अगस्त रात 9 बजे तक...ओडिशा में 1000 किमी की बाइक राइडिंग...यहां असका से हुम्मा के बीच की स्टोरी...हुम्मा से सिर्फ 6 किमी दूर ही पदमपेट में वर्ल्ड फेमस ऑलिव रिडले समुद्री कछुओं का प्रजनन स्थल है

ओडिशा में पदमपुर कस्बे में प्रवेश करने के बाद एक चीज मुझे बार-बार चौंका रही थी। बरसात में यहां धान की खेती में महिलाएं काम कर रही थी लेकिन अपने शरीर को सिर्फ साड़ी से ही ढकें हुई थीं। पहले मैंने सोचा कि शायद ये कोई प्रथा होगी और कुछ विशेष इलाकों और बड़ी उम्र की महिलओं में ही ऐसा होता होगा लेकिन यहां तो ऐसा कुछ नहीं था। सभी उम्र की महिलाएं कई इलाकों में बिना ब्लॉउज के ही दिखीं।
असका से हुम्मा के बीच केे खेत। ओडिशा में मध्यप्रदेश से मेरी बाइक।

इस वजह से नहीं पहन पाती महिलाएं ब्लॉउज
असका से हुम्मा जाने के बीच एक जगह महिलाएं खेतों में काम कर रही थीं तो वहीं सड़क से गुजरते एक शख्स से आखिर पूछ ही लिया कि यहां ऐसा क्यों हैं? तब उसने जवाब दिया कि ये कोई प्रथा के कारण नहीं हैं। यहां गरीबी का बोल-बाला है। ये सभी महिलाएं सुबह 6 बजे से आईं है और दोपहर 12 बजे तक काम करेंगीं तब उन्हें 120 रुपए दिए जाएंगें। यदि पूरे दिन काम करेंगी तो 240 रुपए। साल के सिर्फ 2 महीने ही धान की खेती के समय इन्हें काम मिलता है, बाकी समय यहां कोई फसल नहीं होती। इसी पैसे से गुजारा करना पड़ता है। सदियों से ऐसा ही चल रहा है। अब जब पैसे ही नहीं होंगे तो वह कैसे कपड़ों पर खर्च करेंगी। यही कारण है कि एक साड़ी में ये पूरा जीवन गुजार देती हैं। बाकी के समय इन्हें 'विदेश' जाकर काम करना होता है? जब उनसे पूछा कि विदेश मतलब क्या तो उसने जवाब दिया कि आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र में जाकर काम करने को ही यहां विदेश माना जाता है।
साल में सिर्फ 2 महीने काम, मजदूरी सिर्फ 120 रुपए 
(6 सालों में 23,500 किमी की दूरी तय कर 20 राज्यों में मोटरसाइकिल से भारत भ्रमण करने के बाद 'Amazingindia' सीरिज के तहत ये ऑरिजनल कंटेंट है। इसका किसी भी तरह से उपयोग करने पर कॉपीराइट एक्ट के तहत कार्रवाई करने का सर्वाधिकार सुरक्षित)  


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